आज तो महके हे टेसू के फूलो से
हर डाली
फागुन के फगुआ की बात निराली
देखो रे देखो होली आई मतवारी
भर लो रंगो से पिचकारी
फिर रंगो की हो ऐसी बौछारहंसी ठहाकों की चले फुहार
सबको अबीर गुलाल लगा दो
द्वेष ईर्ष्या को ह्रदय से मिटा दो
शरबत ठंडाई पीलो
भूल के सारे बैर भाव
आज तो सतरंगी दुनिया में जी लो
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